आज प्रदेश के कई जिलों में देवउठनी ग्यारस के अवसर पर छुट्टी घोषित की गई है। इस अवसर को देव दिवाली के नाम से भी जाना जाता है और पूरे प्रदेश में इसे भक्ति भाव से मनाया जा रहा है। इंदौर, रतलाम, सागर, बैतूल, भिंड, छिंदवाड़ा और उमरिया सहित कई जिलों में इस मौके पर अवकाश घोषित कर दिया गया है। इस संबंध में संबंधित जिलों के कलेक्टरों ने आदेश जारी किए हैं, जिसके तहत स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तर आज बंद रहेंगे।
देवउठनी ग्यारस का पर्व धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु, जो चातुर्मास में योग निद्रा में रहते हैं, जागते हैं। इसलिए इसे देव दिवाली भी कहा जाता है, क्योंकि यह दिन देवी-देवताओं के जागने और उत्सव मनाने का प्रतीक है। इस दिन लोग अपने घरों और मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं, विशेष सजावट करते हैं, और पारंपरिक भोजन बनाते हैं। इस दिन को लेकर प्रदेश के कई हिस्सों में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम और मेलों का आयोजन भी किया जाता है।
प्रत्येक जिला कलेक्टर को स्थानीय स्तर पर तीन अवकाश घोषित करने का अधिकार होता है, जो विशेष उत्सवों और त्योहारों के अवसर पर दिए जा सकते हैं। ये स्थानीय अवकाश सरकार द्वारा घोषित सार्वजनिक अवकाश से अलग होते हैं। इसके तहत कलेक्टर अपने अधिकार क्षेत्र में किसी भी महत्वपूर्ण धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन को देखते हुए अवकाश का निर्णय ले सकते हैं। इस वर्ष देवउठनी ग्यारस पर कई जिलों में स्थानीय अवकाश घोषित कर दिया गया है ताकि लोग अपने धार्मिक कार्यक्रमों और त्योहारों में सहभागिता कर सकें।
प्रदेश के विभिन्न मंदिरों में देवउठनी ग्यारस के मौके पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। मंदिरों को सुंदर रोशनी और फूलों से सजाया गया है, और भक्तों के लिए विशेष पूजा-अर्चना की व्यवस्था की गई है। कई जगहों पर भजन-कीर्तन और जागरण के कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। इस पर्व को लेकर आम जनमानस में विशेष उत्साह देखा जा रहा है, और लोग पूरे भक्ति भाव से इस अवसर का स्वागत कर रहे हैं।
देवउठनी ग्यारस न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि सामाजिक सामंजस्य और एकता का भी प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे को बधाइयाँ देते हैं और सामूहिक पूजा-अर्चना में भाग लेते हैं। इस प्रकार का अवकाश लोगों को अपने धार्मिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों को निभाने का अवसर प्रदान करता है।