जैसी करनी वैसी भरनी। यह कहावत चीन पर चरितार्थ हो रही है। चीन खुद के बुने हुए जाल में फंस चुका है। भारत की नीतियों ने चीन को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। चीन से विदेशी कंपनियों का मोह भंग होने लगा है। 40% यूरोपीय कंपनियों ने चीन से अपना बोरिया बिस्तर बांध लिया है। 15% कंपनियों का कहना है कि 2023 में घाटा उठाना पड़ा।
चीन नकली प्रोडक्ट बनाने के लिए विश्व भर में बदनाम हो चुका है। अब चीन में निर्मित प्रोडक्ट पर लोगों का भरोसा उठ चुका है। चीन में इस तरह के कानून बनाए जा रहे हैं, जिससे बाहरी कंपनियों को कम फायदा मिले। चीनी कंपनियों को ध्यान में रखकर बनाए गए नियम की वजह से विदेशी कंपनियां वहां से भाग रही हैं। चीन की हालत लगातार खराब होती जा रही है।
चीन से कारोबार समेटने वाली कंपनियां दक्षिण पूर्व एशिया और यूरोप में निवेश को प्राथमिकता दे रही हैं। भारत में निवेश करना विदेशी कंपनियों को भा रहा है। चीन में कारोबार कर रहीं 500 से अधिक यूरोपीय कंपनियों ने खर्चा कम करने का मन बना लिया है। 26% कंपनियां कर्मचारियों की छटनी करने जा रही हैं। यह संख्या आने वाले समय में बढ़ सकती है।
चीन में बने विपरीत हालात का फायदा भारत को मिल रहा है, क्योंकि भारत में निवेश के लिए अनुकूल माहौल है। विश्व की 10 में से 8 कंपनियां भारत में निवेश करना चाहती हैं। भारत विदेशी कंपनियों को तेजी से आकर्षित कर रहा है। भारत की वजह से चीन बर्बादी की तरफ बढ़ रहा है।
विश्व भर में भारत का दबदबा तेजी से बढ़ा है। चीन की दखल कमजोर हुई है। ऐसे में बड़ी कंपनियां भारत की तरफ आ रही हैं। अगर अनुकूल माहौल रहा तो भारत 2027 तक विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसका सबसे ज्यादा नुकसान चीन को होगा। चीन की अधिकांश कंपनियां बंद हो जाएंगी।
सर्वे के अनुसार चीन में कारोबारी संभावनाएं निराशाजनक स्थिति में पहुंच गई हैं। इसकी मुख्य वजह वहां के नियम और कानून बताए जा रहे हैं। चीन में ऐसा कानून बनाया गया है, जिससे वहां की कंपनियों को फायदा मिल सके। बाहरी कंपनियों को नुकसान हो। ऐसे में उद्योगपतियों का चीन के प्रति भरोसा घट गया है। हालांकि चीन की सरकार ने कंपनियों का विश्वास हासिल करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
चीन में कारोबार के घटते माहौल का फायदा भारत को मिल रहा है। बड़ी संख्या में विदेशी कंपनियां भारत में कारोबार कर रही हैं। अन्य कंपनियां भी कारोबार करने का मन बना रही हैं। भारत विदेशी कंपनियों को निवेश करने के लिए आकर्षित कर रहा है।