केंद्र सरकार ने देश में सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी CAA को लागू कर दिया है। अधिसूचना जारी होते ही यह कानून देश भर में लागू हो गया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि CAA क्या है? CAA का क्या फायदा होगा? CAA का विरोध क्यों हो रहा है? आज के लेख में CAA के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी।
CAA अर्थात नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद 31 दिसंबर 2014 से पहले गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हुए लोगों को यहां की नागरिकता दी जाएगी। बड़ी संख्या में मुस्लिम बाहुल्य देश से प्रताड़ित लोग पलायन कर भारत आ चुके हैं। लंबे समय से भारत में निवास कर रहे हैं, लेकिन इन्हें भारत की नागरिकता नहीं मिली हुई है। ऐसे लोगों को भारत की नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन कानून CAA लागू किया गया है। अब बिना दस्तावेज के पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से प्रताड़ित हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसियों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी।
CAA नौ राज्यों को दिया गया विशेष अधिकार
नागरिकता संशोधन कानून के तहत देश के नौ राज्यों को विशेष अधिकार दिए गए हैं। इनमें गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र शामिल हैं। इन्हें नागरिकता देने की विशेष शक्तियां दी गई हैं। अब बड़ी संख्या में शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी।
सीएए केंद्र सरकार का क्रांतिकारी कदम
नागरिकता संसोधन कानून को केंद्र सरकार का क्रांतिकारी कदम बताया जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि सरकार ने नागरिकता संशोधन नियम 2024 को अधिसूचित कर दिया है। यह नियम पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा। इस अधिसूचना के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और प्रतिबद्धता पूरी की है। हमारे संविधान निर्माता के वादे को साकार किया है।
CAA का विरोध क्यों
नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। नए कानून का मुस्लिम समाज से जुड़े हुए संगठन विरोध कर रहे हैं। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि नए कानून से मुस्लिम समाज को बाहर रखना गलत है। यह समानता के अधिकार के खिलाफ है। इससे देश की एकता और अखंडता को नुकसान होगा। कुछ लोगों का कहना है कि इस कानून से मुसलमानों को प्रताड़ित किया जा सकता है। कुछ संगठनों का कहना है कि पूर्वोत्तर के राज्यों की डेमोग्राफी बदल सकती है।